Category archive

poems - page 13

दोस्त

in poems

रूठने पर तुम हमको मनाया करो, बात अपने दिल की सुनाया करो, तुम्हारी खन खन हँसी ही मेरा गीत है, तेरे जीवन की धुन ही मेरा मीत है, चोट अपनी न हमसे छिपाया करो, बात जो भी हो, वो तुम बताया करो, माना कि कुछ ना कहना बड़ी बात है, पर दर्द की दवा न…

Keep Reading

जीवन का सार

in poems

हम रोज़ बढ़ते हैं, एक कदम और, अपनी मृत्यु की ओर, फिर क्यों मचा हुआ है, अनर्गल बातों का शोर, दिव्यता की अनुभूति हो, या करुणा का सार, इनके लिए खोलें, हम हृदय के द्वार, जीवन को न बनाये, अनंत लालसाओं का कारागार, मिटने के पहले जीवन, जीने की ले लें हम दीक्षा, वर्ना नष्ट…

Keep Reading

एहसास

in poems

एक गीत… खुद पे लिखूँ, दिल करता है बहुत, इन दिनों, खुद से खो जाने का, खतरा है बहुत, जिन्हें देखा, जिन्हें परखा, उन्हें चाहा है बहुत, बात इतनी सी है, प्यार उन्हें अखरा है बहुत, जिनके आने तक, नींद ने न दी दस्तक, उन्हें शिकायत है कि, उन पर मेरी आँखों का, पहरा है…

Keep Reading

समय से संवाद

in poems

समय मंद मंद बहो न, अविरल गति से चल चल कर, क्यों थकते नही कहो न, आदि से अनादि तक, क्यों करते रहते शंखनाद? जीवन के संघर्षो को, क्यों निर् निमेष तकते रहते? द्वापर का ये काल  नही है, कान्हा सा अवतार नही है, अनाचार के दावानल को, कौन रोके, कहो न…, समय मंद मंद…

Keep Reading

शुभकामनाएं

in poems

प्रिय आकाश, शुभकामनाएं प्रकाश नवल, आकाश नवल, जीवन पथ का हर मार्ग नवल, प्रतिपल परिवर्तित जीवन का, हर गान नवल, हर मान नवल, गुंजित हो सभी दिशाओं सें, वरदान नवल प्रतिदान नवल। तुम्हारी मांँ

Keep Reading

एक पत्र भाई के नाम

in poems

मन की व्यथा कहो ना भाई , दुनिया की परवाह हो करते , अपनी क्यूँ नहीं ली दवाई, मन की व्यथा कहो ना भाई । बचपन के वह खेल पुराने , जरा चोट को अधिक बताते, और वीर बन हमें डराते , अब क्यों अपने जख्मों को तुम, आंखों से भी नहीं बताते , हंसकर…

Keep Reading

पिता पुत्री संवाद

in poems

मैं तेरी हूं बिटिया रानी, बाबा कहो ना एक कहानी, सुख दुख की बातें बतलाओ, दुनियादारी तुम सिखलाओ, दूर रहूंगी तुमसे कैसे? फिर जिद ना करूंगी तुमसे ऐसे, पास बैठ कर समय बिताओ, जीने की तुम राह दिखाओ, बाबा बोले गुड़िया रानी, बातों में तुम मेरी नानी, अब तक करती थी मनमानी, यह कैसे परिवर्तन…

Keep Reading

विरहगीत

in poems

तारों की टिमटिम में हो तुम, चिड़ियों की चहचह में हो तुम, गंगा कि कलकल ध्वनि में तुम, नटराज के डमरु की ध्वनि तुम, गुंजित हो सभी दिशाओं में, प्रतिष्ठित हो ह्रदय में तुम। यूं अनायास क्यों चले गए? मुझको तन्हा क्यों छोड़ गए? संगीत की धुन बन लौट आओ, मेरे जीवन में छा जाओ।…

Keep Reading

मोहनदास करमचंद गांधी

in poems

स्वच्छता था जीवन संदेश, सहिष्णुता उनका मंत्र विशेष, सत्य और अहिंसा के दम पर, जिसने कराया राज्याभिषेक, रक्तरंजित युद्धों को जिसने, अहिंसा का पैगाम दिया, असहयोग के शस्त्र से जिसने सत्ता को भयभीत किया, जन जन की आवाज था जो, स्वतंत्रता की परवाज था जो, विश्व पटल पर अंकित है, जिसका स्वर्णिम इतिहास, उसको दुनिया…

Keep Reading

गांधी

in poems

वंचित न हो दुनिया में, कोई मौलिक अधिकारों से, समानता की अलख जगाएँँ, हम अपने व्यवहारोंं से, वो युगद्रष्टा, वो राष्ट्रपिता, वो करुणा का पालनकर्ता, खादी जिसकी पहचान है, जिसका जीवन दृष्टांत है, उस गांधी के आदर्शों के, हम फिर से दीप जलाएँँ , भ्रमित हुए युवा मन को, हम रौशन पथ पर लाएं।

Keep Reading

Go to Top