दोस्त
रूठने पर तुम हमको मनाया करो, बात अपने दिल की सुनाया करो, तुम्हारी खन खन हँसी ही मेरा गीत है, तेरे जीवन की धुन ही मेरा मीत है, चोट अपनी न हमसे छिपाया करो, बात जो भी हो, वो तुम बताया करो, माना कि कुछ ना कहना बड़ी बात है, पर दर्द की दवा न…
रूठने पर तुम हमको मनाया करो, बात अपने दिल की सुनाया करो, तुम्हारी खन खन हँसी ही मेरा गीत है, तेरे जीवन की धुन ही मेरा मीत है, चोट अपनी न हमसे छिपाया करो, बात जो भी हो, वो तुम बताया करो, माना कि कुछ ना कहना बड़ी बात है, पर दर्द की दवा न…
मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न
कुछ नर्म से रिश्तो का ,अधूरा सा फसाना है। ग़र समझ सको ,समझना ,यह दर्द पुराना है। जब साथ हो
जो समय बिताया, साथ तेरे, वो समय नहीं छोड़ा मैं ने, वो हरपल मेरे साथ रहा, तेरी यादों के एहसास
हम रोज़ बढ़ते हैं, एक कदम और, अपनी मृत्यु की ओर, फिर क्यों मचा हुआ है, अनर्गल बातों का शोर, दिव्यता की अनुभूति हो, या करुणा का सार, इनके लिए खोलें, हम हृदय के द्वार, जीवन को न बनाये, अनंत लालसाओं का कारागार, मिटने के पहले जीवन, जीने की ले लें हम दीक्षा, वर्ना नष्ट…
याद आती हैं, बीती बातें, खट्टी मीठी कड़वी यादें, जीवन में आगे बढ़ते भी, छूट कहां पाती हैं यादें। प्रासंगिक
जो उम्मीदों के गठ्ठर, उठाए बैठे हैं, वो रिश्तों के चमन में मुरझाए बैठे हैं। खुद की कुव्वत का जिन
वैदिक ज्ञान है, वरदान। इन बातों का रखें ध्यान, नित्य योग और ध्यान करें, थोड़ा सा ‘प्राणायाम’ करें। ‘यम’, ‘नियम’
एक गीत… खुद पे लिखूँ, दिल करता है बहुत, इन दिनों, खुद से खो जाने का, खतरा है बहुत, जिन्हें देखा, जिन्हें परखा, उन्हें चाहा है बहुत, बात इतनी सी है, प्यार उन्हें अखरा है बहुत, जिनके आने तक, नींद ने न दी दस्तक, उन्हें शिकायत है कि, उन पर मेरी आँखों का, पहरा है…
A stort about society marriage system
मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न
फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों! जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।। हम वैसे तो दुनिया के रवायत
समय मंद मंद बहो न, अविरल गति से चल चल कर, क्यों थकते नही कहो न, आदि से अनादि तक, क्यों करते रहते शंखनाद? जीवन के संघर्षो को, क्यों निर् निमेष तकते रहते? द्वापर का ये काल नही है, कान्हा सा अवतार नही है, अनाचार के दावानल को, कौन रोके, कहो न…, समय मंद मंद…
मेरे बाबा ,जिनके गुस्से से घर में मेरी मां और सारे भाई बहन डरते थे ।वो जब किसी बात पर
मैं हिंदी भाषा हूं, आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है
याद आती हैं, बीती बातें, खट्टी मीठी कड़वी यादें, जीवन में आगे बढ़ते भी, छूट कहां पाती हैं यादें। प्रासंगिक
प्रिय आकाश, शुभकामनाएं प्रकाश नवल, आकाश नवल, जीवन पथ का हर मार्ग नवल, प्रतिपल परिवर्तित जीवन का, हर गान नवल, हर मान नवल, गुंजित हो सभी दिशाओं सें, वरदान नवल प्रतिदान नवल। तुम्हारी मांँ
A stort about society marriage system
मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न
फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों! जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।। हम वैसे तो दुनिया के रवायत
मन की व्यथा कहो ना भाई , दुनिया की परवाह हो करते , अपनी क्यूँ नहीं ली दवाई, मन की व्यथा कहो ना भाई । बचपन के वह खेल पुराने , जरा चोट को अधिक बताते, और वीर बन हमें डराते , अब क्यों अपने जख्मों को तुम, आंखों से भी नहीं बताते , हंसकर…
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मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न
फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों! जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।। हम वैसे तो दुनिया के रवायत
मैं तेरी हूं बिटिया रानी, बाबा कहो ना एक कहानी, सुख दुख की बातें बतलाओ, दुनियादारी तुम सिखलाओ, दूर रहूंगी तुमसे कैसे? फिर जिद ना करूंगी तुमसे ऐसे, पास बैठ कर समय बिताओ, जीने की तुम राह दिखाओ, बाबा बोले गुड़िया रानी, बातों में तुम मेरी नानी, अब तक करती थी मनमानी, यह कैसे परिवर्तन…
मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न
याद आती हैं, बीती बातें, खट्टी मीठी कड़वी यादें, जीवन में आगे बढ़ते भी, छूट कहां पाती हैं यादें। प्रासंगिक
तारों की टिमटिम में हो तुम, चिड़ियों की चहचह में हो तुम, गंगा कि कलकल ध्वनि में तुम, नटराज के डमरु की ध्वनि तुम, गुंजित हो सभी दिशाओं में, प्रतिष्ठित हो ह्रदय में तुम। यूं अनायास क्यों चले गए? मुझको तन्हा क्यों छोड़ गए? संगीत की धुन बन लौट आओ, मेरे जीवन में छा जाओ।…
स्वच्छता था जीवन संदेश, सहिष्णुता उनका मंत्र विशेष, सत्य और अहिंसा के दम पर, जिसने कराया राज्याभिषेक, रक्तरंजित युद्धों को जिसने, अहिंसा का पैगाम दिया, असहयोग के शस्त्र से जिसने सत्ता को भयभीत किया, जन जन की आवाज था जो, स्वतंत्रता की परवाज था जो, विश्व पटल पर अंकित है, जिसका स्वर्णिम इतिहास, उसको दुनिया…
वंचित न हो दुनिया में, कोई मौलिक अधिकारों से, समानता की अलख जगाएँँ, हम अपने व्यवहारोंं से, वो युगद्रष्टा, वो राष्ट्रपिता, वो करुणा का पालनकर्ता, खादी जिसकी पहचान है, जिसका जीवन दृष्टांत है, उस गांधी के आदर्शों के, हम फिर से दीप जलाएँँ , भ्रमित हुए युवा मन को, हम रौशन पथ पर लाएं।
गाँधी गाँधी कहते कहते, हम सत्य अहिंसा भूल गये, अपनी पीड़ा तो याद रही, पर पीर पराई भूल गए, अपने
स्वच्छता था जीवन संदेश, सहिष्णुता उनका मंत्र विशेष, सत्य और अहिंसा के दम पर, जिसने कराया राज्याभिषेक, रक्तरंजित युद्धों को