Monthly archive

October 2018

गांँव वाली चाची

in Stories
KAVITANAAMA

आज बरसों पीछे मन भाग रहा है,तो सोचा उन बीते स्वर्णिम पलों से डायरी के पन्ने स्याह कर लूँ।  विवाह के 2 वर्ष पश्चात में अपने पति और छः माह की बिटिया के साथ लमही रहने के लिए आ गई, फलों का बगीचा और सामने फूलों और हरी घास के लॉन वाला हवेली नुमा घर…

Keep Reading

अकथ

in Stories

जीवन की देहरी पर सोलहवाँ बसंत उतरा और अचानक ही मधु की दुनिया के सारे रंग गुलाबी हो गए । सपनों का सावन आंखों में ठहर गया,खुशबू का मौसम सांसों में पैठ गया, दिन तितली हो गए, और जीवन अनूठा प्रेम राग। किसे भूलती है, वह पहली दस्तक, वह पहली आहट, वह प्रथम आकर्षण की…

Keep Reading

श्रद्धांजलि

in poems

माँ तू चली गयी और पीछे छोड़ गयी गहरी पीड़ा की रेख अवसादों का कुञ्ज जिसे अब तू कभी न पायेगी देख ईश्वर के दरबार में तेरा हो अभिषेक निर्वासित सा जीवन जीकर सुख दुःख से निर्लिप्त रही परिजनों से अतृप्त शिव की नगरी काशी में कर के जीवन दान परमपिता के चरणो में अब…

Keep Reading

जीवन की साँझ

in poems

जीवन की साँझ और तन्हाईयो का डेरा सूरज की रोशनी पर है बादलो का घेरा मन मेरा कर रहा क्यूँ यादों के घर का फेरा राहों पे चलते चलते बड़ी दूर आ गये है कोई मुझे बताए घर का पता जो मेरा दम भर के साँस ले लूँ दुनिया शोर गुल का मेला ।

Keep Reading

अपना देश

in poems

ये पुण्य भूमि है भारत की जहाँ कण कण में भगवान कल कल करती नदियाँ जिसका करती रहती गान इस धरती के कण कण में वीरो की है गाथायें अपना सर्वस्व लुटा देश पर मुस्काती है माताएँ जहाँ धैर्य लेता है वीरो की कठिन परीक्षा फिर भी अपराजित रहने का इतिहास रहा है जिसका गाँधी के…

Keep Reading

जीवन यात्रा

in poems

ज़िन्दगी में आगे जैसे ही बढ़ते चले गये, कदमों के निशां खुद ही मिटते चले गये, किसी ने मुझे पीछे पुकारा ज़रूर था, वो आवाज़ दुनिया के शोर में घुटते चले गये। बढ़ते हुए कदम ने, ला खड़ा किया जहाँ, उस अर्श से अब फर्श भी दिखता नहीं मुझे, तारीख की गुस्ताख़ियां तो देखिये हुज़ूर, ग़र…

Keep Reading

अंतर्भाव

in poems

जीवन के अर्ध शतक पर अब…, कुछ अंतर्मन की बात लिखे, कुछ कोमल अंतर्भाव लिखे, कुछ कटुता के अनुभाव लिखे, कहना सुनना तो बहुत हुआ , कुछ अनचीन्हे मनोभाव लिखे, जो कह न सके, अब तक तुमसे, वो अनकहा प्रतिवाद लिखे। वो भी तो एक ज़माना था, गर्मी की लम्बी रातो में, घर के छत…

Keep Reading

भूली बिसरी बातें

in poems

इतने दिनों के बाद मिले हो, कुछ भूली बिसरी बात करो, कुछ अपनी कहो, कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनेपन की बात करो, सदियाँ बीती,अर्सा गुजरा, फिर भी तुम बिल्कुल वैसे हो, कुछ शरद शिशिर की बात करो, कुछ ग्रीष्म ऋतु की बात करो, बारिश से गीली सड़को पर, वो नाव चलाना याद करो, गुल्ली डंडो…

Keep Reading

मानवता

in poems

निज सुखो की मरीचिका में, खो न जाना, जीवन बदलता है यहाँ, ये भूल न जाना, फूल है जीवन में ग़र, तो शूल भी है, चूर मत हो गर्व में, क्योंकि यहाँ पर धूल भी है, धूसरित हो जाएँगी, वो गर्व की आँधियाँ नशीली, हौसला दे तू उन्हें बढ़कर, जिनकी हुई है आँखे गीली  ।

Keep Reading

जीवन प्रत्याशा

in poems

स्व से ऊपर उठो , पुकारता ये तंत्र है, स्व से ऊपर उठो, जीवन का ये मंत्र है, अनगिनत पीड़ित यहाँ पर, अनगिनत शोषित यहाँ पर, अनगिनत आँखे यहाँ पर, जोहती है बाट तेरा, कपकपाते हाथ उठते है , इस उम्मीद पे कि, कोई तो आए जो,कह दे, टूट मत तू , मैं हूँ तेरा,…

Keep Reading

Go to Top