रूठने पर तुम हमको मनाया करो,
बात अपने दिल की सुनाया करो,
तुम्हारी खन खन हँसी ही मेरा गीत है,
तेरे जीवन की धुन ही मेरा मीत है,
चोट अपनी न हमसे छिपाया करो,
बात जो भी हो, वो तुम बताया करो,
माना कि कुछ ना कहना बड़ी बात है,
पर दर्द की दवा न करना, स्वयं से घात है।
हों आँख में आँसू और चेहरे पे हँसी,
ऐसे दृश्यों से मुझे न भरमाया करो,
बात हो भी बहुत, बात कुछ भी नहीं,
ऐसे कह कर न, हमको बहलाया करो,
मेरे गीतों में तुम, आया जाया करो।