अष्टांग योग

in poems

वैदिक ज्ञान है, वरदान।

इन बातों का रखें ध्यान,

नित्य योग और ध्यान करें,

थोड़ा सा ‘प्राणायाम’ करें।

‘यम’, ‘नियम’ और ‘आसन’ से,

जीवन में आनंद भरें,

‘प्रत्याहार,’ ‘धारणा’ से,

स्वयं का उत्कर्ष करे,

‘ध्यान’, ‘समाधि’ से फिर जुड़ कर,

जीवन परमानंद करे।

 

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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