गणतंत्र की सुनहरी,
फिर शाम आ रही है।
सूरज की लालिमा यह,
संदेश गा रही है ।
हम सब हैं भाई बंधु ,
यह देश है हमारा, अक्षुण्ण है,
जिसकी संस्कृति,
अनमोल भाईचारा।
मिलजुल कर हम जिएंगे,
फिर ज़हर ना पिएंगे,
इंसानियत के दुश्मन,
हमको नहीं गवारा।
चलो यह प्रण भी ले लें ।
अभी इसी घड़ी में,
जीवन समर्पित होगा,
वतन की बेहतरी में।