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poems - page 14

यादें

in poems

यूं ही बैठे हुए गुज़रा ज़माना याद आया, क्या होता है जिंदगी का स्वाद याद आया, यादों का सफर चलचित्र सा चलता ही गया, तारों को देख, अमावस का गहराना याद आया, समय की धार में जो जाने कहां खो गया, दिल के टुकड़ों में जो अपनी परछाई दे गया, जाते-जाते जो आंखों को पानी…

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शिक्षक

in poems

अंधेरी स्याह रात में, जो दीप बन के जल रहा, प्रबुद्ध हो के आज भी, पहचान को तरस रहा। जो राष्ट्र का स्तंभ है, समाज का प्रबंध है, विद्यालय की शान है, समाज का अभिमान है, कहने कि जितनी बातें हैं, उस पर उतनी ही घाते हैं, मर्माहत उसकी प्राते हैं, जब दोषी उसे बताते…

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माँ

in poems

तू कैसे जान लेती है माँ मेरी भूख को, मेरी प्यास को मैं चाहती हूं क्या? और मेरी आस को ? वो कौन सा जादू है माँ वो मुझे भी सीखा दे तू वो कौन सी थाती है माँ वो मुझे भी दिखा दे तू दुनिया के सारे गरल कर पान तू जीवित रही कैसे…

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