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May 2021

बीता ज़माना

in poems

लड़ना झगड़ना या रूठना मनाना , कोई डाँट खाए, तो उसको चिढ़ाना, बहुत याद आता है बीता ज़माना, वो हँसना हँसाना, वो रोना रुलाना । गुज़रता गया, जो पंख लगा के, पलट के न आया, कभी याद आके। बहनों के संग, जो बचपन बिताया, जवानी बितायी ,ज़माना बिताया, बहुत कुछ छिपाया, बहुत कुछ बताया ,…

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पूजा

in poems

यदि धन की पूजा,अमरता दिलाती? तो रावण की लंका कभी जल न पाती। वो रावण भी अब तक,इस धरती पे होता, कोरोना के कारण ही भयभीत होता । प्रकृति की ही पूजा,उद्धारक बनेगी, तब जीवन बचेगा,जब धरती बचेगी!

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प्रलय

in poems

ये आफ़त ये झंझा तूफ़ानों का रेला, कहाँ ले के आया ,ये मरघट का खेला। समझ में न आए ,ये हो क्या रहा है ? प्रकृति का जो ऐसा क़हर हो रहा है ! समय कह रहा है ,जड़ों से जुड़ो तुम, नहीं तो कहीं फिर प्रलय हो ना जाए।

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