गाँधी गाँधी कहते कहते,
हम सत्य अहिंसा भूल गये,
अपनी पीड़ा तो याद रही,
पर पीर पराई भूल गए,
अपने अधिकारों का परचम,
हर दम लहराना याद रहा,
पर स्व कर्म और राष्ट्र धर्म का,
दीप जलाना भूल गये,
शहीदों की तस्वीरों पर,
फूल चढ़ाना याद रहा,
पर भुला दिया आदर्शो को,
जिनकी ख़ातिर वो चले गये,
लें आज प्रतिज्ञा हम अपने,
अधिकारों से ऊपर उठ कर,
कर्तव्य की धारा प्रमुख करें,
हिंसा की धारा विमुख करें,
निष्काम कर्म का नारा हो,
सिर्फ सत्य वचन ही प्यारा हो,
तभी होगा सम्पूर्ण व्रत,
गाँधी के सपनों का भारत।