Monthly archive

December 2021

चंद शेर……!

in poems
Trust

फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों! जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।। हम वैसे तो दुनिया के रवायत से हैं, वाक़िफ। तुम ही ना रहे, इस दुनिया का क्या करें ? तुम आओगे एक दिन तो, मालूम है मुझे, पर मैं ही ना रहूं, उस दिन का क्या करें ?दौलत की जिस ढेर…

Keep Reading

सर्द सर्द रातों में……!

in poems

सर्द सर्द रातों में, दर्द भरी यादों की , महफिलें जब सजती हैं , ओस बिखर जाते हैं , आसमां के रोने में, अश्रु जम से जाते हैं ,आंखों के सोने में , तुम जहां भी जाओगे, दुनिया के कोने में , दूर ना कर पाओगे, मुझ में खुद के होने में ।वक्त ठहर जाता…

Keep Reading

चंदा की लोरी

in poems

चंदा जब तुम निशाकाल में आना, मेरे प्यारे लल्ला को, लोरी गाकर सुनाना, जिसमें हो इस देश की बातें, देश के गौरव गान की बातें, षड् ॠतुओं की सौगातें, उसको तुम बताना, जब तुम निशा काल में आना । पर्वत नदियाँ झरनें सागर, पूरित जिनसे देश का गागर, निर्मल पावन रखने को, उसको तुम सिखाना,…

Keep Reading

Go to Top