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August 2020

स्वदेश

in poems

है राम की धरा ये, अपना स्वदेश प्यारा, अर्पित करेंगें तन मन, संकल्प है हमारा, अविचल अडिग रहेंगे, आए कोई भी झंझा , हर घात से लड़ेंगे , हो प्रात या हो संझा। स्वाधीनता का परचम, ये याद है दिलाता , बलिदान और लहू का, इतिहास है बताता। कीमत चुकाई है जब, कई पीढ़ियों ने…

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