पिता पुत्री संवाद

in poems

मैं तेरी हूं बिटिया रानी,
बाबा कहो ना एक कहानी,
सुख दुख की बातें बतलाओ,
दुनियादारी तुम सिखलाओ,
दूर रहूंगी तुमसे कैसे?
फिर जिद ना करूंगी तुमसे ऐसे,
पास बैठ कर समय बिताओ,
जीने की तुम राह दिखाओ,
बाबा बोले गुड़िया रानी,
बातों में तुम मेरी नानी,
अब तक करती थी मनमानी,
यह कैसे परिवर्तन आया,
कर रही तुम बात सयानी,
यदि दुनिया पर राज चलानी,
मुंह में रखो मीठी बानी,
आंखों में शर्म का पानी,
मेहनत से ही लक्ष्मी आनी,
तभी सुख की होगी आगवानी।

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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