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September 2023

क़ैद

in Stories

उत्तराखंड की यात्रा के दौरान मैं नैनीताल के जिस होटल में रुकी थी ,उस होटल से वापसी वाले दिन सीढ़ियों से उतरते समय एक संन्यासी जैसी वेशभूषा वाला व्यक्ति मुझे दिखा। ना चाहते हुए भी मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया, कि क्षमा कीजिएगा, क्या मैं आपका शुभ नाम जान सकती हूं ? संन्यासी…

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जिज्जी

in Stories

A stort about society marriage system

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हिन्दीभाषा ये पूछ रही..

in poems

आँखों में लिए प्रश्न बैठी ,इन्तज़ार  की चौखट पर , वो समय  कहाँ, कब आएगा ,जो मेरा भाग्य जगाएगा। हिन्दी सबकी जननी है तो ,सब क्यूं जननी को भूल गए , जो अँधियारे में भटक रही , हम दीप जलाना  भूल  गए । है राह निहारे यहाँ वहाँ ,तकती आँखें अब पूछ रही , हम…

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चाहत

in Stories

मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न जाने कहां से आ गया।बहुत  पीछा छुड़ाने की कोशिश करने पर भी उसने पीछे आना न छोड़ा। तो मिस्टर  बागची ने उसे एक छोटी सी दुकान  जो सुबह-सुबह खोलने की प्रक्रिया में दुकानदार  झाड़ू लगा…

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सबके होते अपने श्याम …

in poems

कोई बोले रास रचईया,कोई बोले नटखट श्याम। कोई बोले कृष्ण कन्हैया,कोई बोले योगी श्याम। जिसने तुमको जैसा चाहा,वैसे ही तुम बनते श्याम। ज्ञानयोग और कर्मयोग का,ध्यानयोग का योगी श्याम,  जिसकी जितनी निष्ठा होती,उतना ही बस मिलते श्याम।  आत्मज्ञान निष्कामकर्म का,बोध कराए गीताज्ञान। जैसी जिसकी दृष्टि है ,बस वैसे ही है उनके श्याम।   

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शिक्षा का बाज़ार

in poems

अध्यापन व्यवसाय बन गया अध्यापक सामान, शिक्षा का बाज़ार बन गया, बिक्री-खरीद हुई आसान। बड़े- बड़े पोस्टर में सज गए विद्यालय के भवन, ज्ञान की बातें गौण हुई अब नैतिकता का हवन। बड़े-बड़े भवनों में बैठे शिक्षा के व्यापारी,पहले आओ पहले पाओ की है पूरी तैयारी। प्रतिभावान बेहाल भटकते है कितनी लाचारी ! भ्रष्टाचार की…

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