समय मंद मंद बहो न,
अविरल गति से चल चल कर,
क्यों थकते नही कहो न,
आदि से अनादि तक,
क्यों करते रहते शंखनाद?
जीवन के संघर्षो को,
क्यों निर् निमेष तकते रहते?
द्वापर का ये काल नही है,
कान्हा सा अवतार नही है,
अनाचार के दावानल को,
कौन रोके, कहो न…,
समय मंद मंद बहो न।