मोहनदास करमचंद गांधी

in poems

स्वच्छता था जीवन संदेश,

सहिष्णुता उनका मंत्र विशेष,

सत्य और अहिंसा के दम पर,

जिसने कराया राज्याभिषेक,

रक्तरंजित युद्धों को जिसने,

अहिंसा का पैगाम दिया,

असहयोग के शस्त्र से जिसने

सत्ता को भयभीत किया,

जन जन की आवाज था जो,

स्वतंत्रता की परवाज था जो,

विश्व पटल पर अंकित है,

जिसका स्वर्णिम इतिहास,

उसको दुनिया कहती है,

भारत का मोहनदास।

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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