Monthly archive

May 2020

बीती बातें

in poems

याद आती हैं, बीती बातें, खट्टी मीठी कड़वी यादें, जीवन में आगे बढ़ते भी, छूट कहां पाती हैं यादें। प्रासंगिक होता जाता है, अनुभव के दरिया में उतरना, सार रहित होता जाता है, चकाचौंध के बीच गुजरना। जीवन के हर पल में कुछ तो, मर्म छुपा होता है,इन्हें समझना, आगे बढ़ना, व्यर्थ कहां होता है?…

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मज़दूरों का हाल…

in poems

सबकी छत  बनाने वाले, महलों को चमकाने वाले, क्यूं इतने मजबूर हुए है?भूख से थककर चूर हुए हैं। नींव की ईंटें रोयी थीं,तब। मजदूरों का हाल देख कर। आसमान बेचैन हुआ था,बचपन को बदहाल देखकर। न रोटी, न काम रहा जब, रहने को आवास रहा कब? उनके जलते छालों पर भी, राजनीति के काम हुए…

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बहुत याद आता है…

in poems

याद आ रहा, गांव हमारा, बांसों का झुरमुट,वो न्यारा। जहां रातों के अंधियारे में, जुगनू जगमग करते थे, आमों  के बागीचे में, झिंगुर बोला करते थे, चांद और तारों  के नीचे, बिस्तर डाला करते थे, सप्तऋषि से तारों की, दूरी को नापा करते थे।   समय का पहिया घूम घूमकर, शहरों तक ले आया, लेकिन…

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मां की यादें

in poems

मां तेरी वो यादें, बातों की बरसाते । भीनी सी खुशबू जैसी थी,तेरे आंचल की रातें। यादों की गठरी से, रह-रहकर आ जाती, जीवन की उलझी राहों को, सीख तेरी सुलझाती। मेरे जीवन नैया की,नदी धार बन जाती, तपते थकते जीवन में, बदरी बन छा जाती। कर्मयोग का जादू तूने,कब किससे था सीखा? मुझे सिखा…

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ज़न्नत-ए-एहसास

in poems

ख्वाबों की टोकरी, ख्वाहिशों का बोझ, जीवन की डोर से ,बंधा इनका छोर। श्वांसे हैं गिनती की,जाना है दूर, अधूरी सी ख्वाहिश से, इंसां मजबूर। कर्मों की टोकरी ही, जाएगी साथ, बाकी रह जाएगा, धरती के पास। छोड़ो इन ख्वाबों और ख्वाहिशों का बोझ, चलो, जिएं ऐसे जैसे, ज़न्नत-ए-एहसास तब सुखद हो जाएगा, धरती पे…

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