फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों!
जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।।
हम वैसे तो दुनिया के रवायत से हैं, वाक़िफ। तुम ही ना रहे, इस दुनिया का क्या करें ?
तुम आओगे एक दिन तो, मालूम है मुझे,
पर मैं ही ना रहूं, उस दिन का क्या करें ?दौलत की जिस ढेर पर बैठी है, ये दुनियां !लख्ते़ जिगर ही पास नहीं, ढेरी का क्याकरें ? हो इश्क का एहसास और परवाह की खुशबू, जब ये ही दफा हो गए, शोहरत का क्या करें?
साझेदारी
मेरे बाबा, जिनके गुस्से से घर में मेरी मां और सारे भाई बहन डरते थे ।