जो समय बिताया, साथ तेरे,
वो समय नहीं छोड़ा मैं ने,
वो हरपल मेरे साथ रहा,
तेरी यादों के एहसास तले।
जब साथ तुम्हारे होते थे,
कभी हंसते थे, कभी रोते थे।
अब हंसना,रोना छोड़ दिया,
दुनियादारी के बोझ तले।
जब संग तुम्हारे, मीलों तक,
बेमतलब घूमा करते थे,
वो यादें अब भी जीने का,
मतलब समझाया करती हैं।
वो पल जो तेरे साथ जिएं,
वो दिल धड़काया करती है।
तुम आओ फिर से, दस्तक दो,
फिर जीने का अरमान जगे,
जो घाव रिस रहे है अब तक,
उनको भी तो आराम लगे।
हिंदी भाषा की व्यथा
मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह