मैं उड़ूंगी, गिरूंगी, संभलूंगी, उठूंगी,
लेकिन तुम मुझे मत बताओ ,
कि मुझे कैसे चलना है?
मैं हॅंसूगी, खिलखिलाऊॅंगी, रोऊॅंगी, चिल्लाऊॅंगी,
लेकिन तुम मुझे मत बताओ ,
कि मुझे कैसे बात करनी है?
तुम भी तो ज़ोर से बोलते हो,
ज़ोर से हंसते हो,ज़ोर से चिल्लाते हो,
ज़ोर से चलते हो,
जब मैंने तुम्हें नहीं टोका,
किसी बात पर नहीं रोका,
तुम अपने मन की करते हो,
हरदम गुस्से में रहते हो,
तुम्हारे प्यार का दिखावा,
तुम्हारे हॅंसी का छलावा,
मैंने देखा है, भोगा है,
पाया है, धोखा है।
अब मैं अपने इस एक जीवन को,
और बदरंग नहीं कर सकती,
मुझे जीवन में रंग भरना है,
तुम मुझे मत बताओ,
मुझे क्या करना है।
मेरे विद्रोही स्वर ही,
आज से मेरे त्राता हैं,
तुम मुझे मत बताओ ,
मुझे क्या आता है?