जीवन की साँझ
और तन्हाईयो का डेरा
सूरज की रोशनी पर
है बादलो का घेरा
मन मेरा कर रहा क्यूँ
यादों के घर का फेरा
राहों पे चलते चलते
बड़ी दूर आ गये है
कोई मुझे बताए
घर का पता जो मेरा
दम भर के साँस ले लूँ
दुनिया शोर गुल का मेला ।
क़ैद
उत्तराखंड की यात्रा के दौरान मैं नैनीताल के जिस होटल में रुकी थी ,उस होटल से