नि:शब्द आज ये रात है,
क्या आज नयी कोई बात है?
क्यूं चांद तन्हा सा दिख रहा?
तारे भी आज उदास है।
क्या आज नयी कोई बात है?
हां,….. तुम गये जो प्रवास को,
कह गए आस की बात जो,
हां, इस लिए मन यूं उदास है,
हां, यहीं नयी वो बात है।
जब साथ थे, तो पता न था,
कि, तारें उदास भी होते हैं,
जब चांद अंधेरों में डूबता,
तब नि:शब्द रात भी होती है।