पूजा

in poems

यदि धन की पूजा,अमरता दिलाती?
तो रावण की लंका कभी जल न पाती।
वो रावण भी अब तक,इस धरती पे होता,
कोरोना के कारण ही भयभीत होता ।
प्रकृति की ही पूजा,उद्धारक बनेगी,
तब जीवन बचेगा,जब धरती बचेगी!

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

Latest from poems

साझेदारी

मेरे बाबा, जिनके गुस्से से घर में मेरी मां और सारे भाई

क़ैद

उत्तराखंड की यात्रा के दौरान मैं नैनीताल के जिस होटल में रुकी
Go to Top
%d bloggers like this: