जब मां बाबा के साथ रहे,
तब सतरंगी त्योहार रहे।
जब जीवन में साथी आया,
तब नया दृष्टिकोण पाया।
फिर पीछे कुछ छूट गया,
मन के अंदर कुछ टूट गया।
पिछले धुंधले परिदृश्य आज,
मुखरित होकर कर रहे बात,
कोई नही है अब आसपास,
जिसका होना कुछ लगे खास।
मत पूछो इस इक जीवन में,
कितने रंगों को देखा है।
इन्द्रधनुष के सात रंग ने,
सत्तर रंग समेटा है।