शुभकामनाएँ

in poems

हर कदम आपके,

मेरी दुआएँ चलें,

जीवन सरल बन सके,

वो सदाएं चले,

मुश्किलों में भी जो,

गिर के बिखरें नही,

वो हौसला साथ हों,

वो जुनूँ साथ हों,

फिर मिले आप से, तो ऐसे मिले,

हर डगर आपके कदमों के निशाँ साथ हो,

आपकी सफलताओं का आसमां साथ हो,

अश्रुपूरित नयन संग मधुर हास हो।

पिताजी के अंग्रेजी, उर्दू के कुहासे के बीच, मैंने अपनी माँँ के लोकगीतों को ही अधिक आत्मसात किया। उसी लोक संगीत की समझ ने मेरे अंदर काव्य का बीजा रोपण किया। "कवितानामा" मेरी काव्ययात्रा का प्रथम प्रयास नहीं है। इसके पूर्व अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशनार्थ प्रेषित की, लेकिन सखेद वापस आती रचनाओं ने मेरी लेखनी को कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर दिया था। लेकिन कोटिशः धन्यवाद डिजिटल मीडिया के इस मंच को, जिसने मेरी रुकी हुई लेखनी को पुनः एक प्रवाह, एक गति प्रदान कर लिखने के उत्साह को एक बार फिर से प्रेरित किया। पुनश्च धन्यवाद!☺️ वंदना राय

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