दुःख को मूक,
सुखो को मुखरित हो जाने दो,
सन्नाटे है बातें करते,
हर दम मेरे संग ही रहते,
सन्नाटों को और विगुंजित हो जाने दो,
दुःख को मूक,
सुखों को मुखरित हो जाने दो,
घोर अंधेरा है घिर आया,
राह नही पड़ता दिखलाई,
कितनी दूर मैं चली आई,
जीवन के आँगन में,
धूप निकल आने दो,
दुःख को मूक,
सुखों को मुखरित हो जाने दो|