जब जन्म लिया इन्सां बन कर,
इंसानों जैसे जी तो लो,
कुछ दुःख के काँटें कम कर लो,
कुछ सुख के फूल खिला तो लो,
किसका ऐसा जीवन होगा,
जिससे कोई न भूल हुई,
जीवन पथ पर चलते चलते,
पथ में कोई न शूल हुई,
काँटों से ही तो सीखा है,
संभलना और संवर जाना,
नव पुष्पों की प्रतीक्षा में,
थोड़ा सा ठहर जाना।