मेरे बाबा
”रहे ना कोई सपने बाकी, नाप ले तू अंतरिक्ष की थाती।” कहते रहते, बाबा मेरे, जब उनके पास मैं जाती, उनके ऊंचे सपनों को मैं, देख-देख घबराती। आते जाते डांटा करते, पढ़ती क्यों नहीं दिखती, जब देखो तब बातों में ही, समय नष्ट क्यों करती, जो बातें तब थी चुभती, आज समझ में आती,…
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हिंदी भाषा की व्यथा
मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है।
गुलाब का संदेश
मेरी बगिया का अधखिला गुलाब, नव ऊष्मा से पूरित गुलाब , कुछ मुस्काता सा बोल रहा, अपनी पंखुड़ियां खोल रहा,
साझेदारी
मेरे बाबा, जिनके गुस्से से घर में मेरी मां और सारे भाई बहन डरते थे । वो जब किसी बात
पिता की सीख
जब जन्म लिया इन्सां बन कर, इंसानों जैसे जी तो लो, कुछ दुःख के काँटें कम कर लो, कुछ सुख के फूल खिला तो लो, किसका ऐसा जीवन होगा, जिससे कोई न भूल हुई, जीवन पथ पर चलते चलते, पथ में कोई न शूल हुई, काँटों से ही तो सीखा है, संभलना और संवर जाना,…
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बीती बातें
याद आती हैं, बीती बातें, खट्टी मीठी कड़वी यादें, जीवन में आगे बढ़ते भी, छूट कहां पाती हैं यादें। प्रासंगिक
भरम
जो उम्मीदों के गठ्ठर, उठाए बैठे हैं, वो रिश्तों के चमन में मुरझाए बैठे हैं। खुद की कुव्वत का जिन
पिता पुत्री संवाद
मैं तेरी हूं बिटिया रानी, बाबा कहो ना एक कहानी, सुख दुख की बातें बतलाओ, दुनियादारी तुम सिखलाओ, दूर रहूंगी तुमसे कैसे? फिर जिद ना करूंगी तुमसे ऐसे, पास बैठ कर समय बिताओ, जीने की तुम राह दिखाओ, बाबा बोले गुड़िया रानी, बातों में तुम मेरी नानी, अब तक करती थी मनमानी, यह कैसे परिवर्तन…
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चाहत
मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न
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