चंदा जब तुम निशाकाल में आना,
मेरे प्यारे लल्ला को,
लोरी गाकर सुनाना,
जिसमें हो इस देश की बातें,
देश के गौरव गान की बातें,
षड् ॠतुओं की सौगातें,
उसको तुम बताना,
जब तुम निशा काल में आना ।
पर्वत नदियाँ झरनें सागर,
पूरित जिनसे देश का गागर,
निर्मल पावन रखने को,
उसको तुम सिखाना,
जब तुम निशाकाल में आना ।
स्वर्णिम था इतिहास हमारा,
वेदों ने था जिसे सँवारा |
फिर से वैदिक मंत्रों का,
आवाहन करना होगा,
उस को तुम बताना,
जब तुम निशाकाल में आना ।
त्याग की महिमा उसे बताना,
संग्रह से तुम उसे बचाना,
परोपकार, करुणा से भरकर,
देश प्रेम तुम उसे सिखाना,
योगदान करना होगा,
उसको तुम बताना,
जब तुम निशाकाल में आना ।
अमृत पुत्र बने हम सब फिर,
हो ऐसा व्यवहार,
चंदा मामा लेकर आओ,
ऐसा ही उपहार |
हिंदी भाषा की व्यथा
मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह