नि: शब्द धरा,आकाश मेघ,
कर रहे सभी, सिर्फ प्रश्न एक,
ज़न्नत की बातें , करते हो,
मरते हो बस ज़न्नत के लिए,
लेकिन ज़न्नत में रहते हो,
क्या तुमको ये एहसास नहीं?
ज़न्नत ज़न्नत, करते करते,
तुम इतने रक्त बहाते हो,
ज़न्नत जैसे कश्मीर को भी
क्यूं दोज़ख बनवाते हो?
आए हो, खाली हाथ ही,
और खाली ही जाओगे,
जाते जाते भी अपने सिर,
क्या रक्तपात ले जाओगे?
मुक्ति का केवल मार्ग एक,
करुणा और सद् भाव,
मातृभूमि भी सिसक रही,
क्यूं देते हो घाव?