कुछ प्रासंगिक उत्तर के लिए,
हैं संदर्भित कुछ प्रश्न मेरे|
क्या शिक्षा सिर्फ प्रचार तक,
या आचरण व्यवहार तक?
स्वर्णिम इतिहास हमारा था,
ये देश जो इतना प्यारा था|
गंगा यमुनी तहज़ीब ने हम को,
बडे़ प्यार से पाला था|
नदियों को मैला कर डाला,
वृक्षों की चिता जला डाली,
वर्षावन जाने कहां गए?
मौसम ने चाल बदल डाली|
मन उद्वेलित , तन थका हुआ,
मानव स्वयं से ठगा हुआ|
ये परिभाषित विकास हैं?
या जीवन का अभिशाप हैं?
चलिए इस पर विचार करें,
कुछ संभावित उपचार करें|