सन्नाटे चीख रहे,
और ध्वनियां हुई मौन है।
मानवता को लील रहा, जो
ऐसा दानव कौन हैं?
जीवो पर निर्ममता, आखिर
अपना रुप दिखाएगी ही,
ख़ौफ़ ए क़हर का मतलब भी,
दुनिया को समझाएगी भी।
निर्दयता के चरम बिन्दु को,
छूकर भी जो गर्वित है।
उनको अपने अणुमात्र से,
ऐसा सबक सिखाएगी भी।
ये प्रकृति सबकी माता है,
जीवों को न्याय दिलाएगी ही ।