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crisis.

ख़ौफ ए क़हर

in poems

सन्नाटे चीख रहे, और ध्वनियां हुई मौन है। मानवता को लील रहा, जो ऐसा दानव कौन हैं? जीवो पर निर्ममता, आखिर अपना रुप दिखाएगी ही, ख़ौफ़ ए क़हर का मतलब भी, दुनिया को समझाएगी भी। निर्दयता के चरम बिन्दु को, छूकर भी जो गर्वित है। उनको अपने अणुमात्र से, ऐसा सबक सिखाएगी भी। ये प्रकृति…

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