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ख़ौफ ए क़हर

in poems

सन्नाटे चीख रहे, और ध्वनियां हुई मौन है। मानवता को लील रहा, जो ऐसा दानव कौन हैं? जीवो पर निर्ममता, आखिर अपना रुप दिखाएगी ही, ख़ौफ़ ए क़हर का मतलब भी, दुनिया को समझाएगी भी। निर्दयता के चरम बिन्दु को, छूकर भी जो गर्वित है। उनको अपने अणुमात्र से, ऐसा सबक सिखाएगी भी। ये प्रकृति…

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प्रसंगवश

in poems

कुछ प्रासंगिक उत्तर के लिए, हैं संदर्भित कुछ प्रश्न मेरे| क्या शिक्षा सिर्फ प्रचार तक, या आचरण व्यवहार तक? स्वर्णिम इतिहास हमारा था, ये देश जो इतना प्यारा था| गंगा यमुनी तहज़ीब ने हम को, बडे़ प्यार से पाला था| नदियों को मैला कर डाला, वृक्षों की चिता जला डाली, वर्षावन जाने कहां गए? मौसम…

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सुविचार

in poems

मुस्कुराती रात हो, खिलखिलाता प्रात हो, हर सुबह के सूर्य में, कुछ विशेष बात हो।

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