खुली सड़क पर घूम रहा था,
वो अनाथ बच्चा,
मै बोली, तुम कुछ पढो,लिखो,
यूं घूमना नहीं अच्छा ।
मै सड़क किनारे पला, बढ़ा,
इस खुली सड़क पर सोता हूं।
भूख से पिचका पेट लिए,
भरने को इसे तरसता हूं।
तुम बड़े लोग का पेट,जेब,
हरदम रहता है,भरा भरा,
तभी तुम्हे तो दिखता है,
हर तरफ हमेशा हरा हरा।
आओ देखो, इस दुनिया को,
जो सड़क किनारे पलती है,
कुछ इन पर भी उपकार करो,
निर्धनता का उपचार करो,
फिर पढ़ने की तुम बात करो।