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Conversation

जीवन संवाद

in poems

चलो आज फिर काव्य लिखें, जीवन का संभाव्य लिखें, चारो ओर बिखरे जीवन पर, फिर थोड़ा संवाद लिखें, जीवन जीतना गहरा है, उतना ही तो पहरा है, मुक्तिबोध के कुछ छन्दों का, फिर थोड़ा अनुवाद लिखे, युवा मन पर ग्रंथ लिखें, अनुशासन प्रबन्ध लिखें, व्याकुल मन की बेचैनी पर, प्रेम का अनुबंध लिखें, नए सिरे…

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समय से संवाद

in poems

समय मंद मंद बहो न, अविरल गति से चल चल कर, क्यों थकते नही कहो न, आदि से अनादि तक, क्यों करते रहते शंखनाद? जीवन के संघर्षो को, क्यों निर् निमेष तकते रहते? द्वापर का ये काल  नही है, कान्हा सा अवतार नही है, अनाचार के दावानल को, कौन रोके, कहो न…, समय मंद मंद…

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