यूं ही बैठे हुए गुज़रा ज़माना याद आया,
क्या होता है जिंदगी का स्वाद याद आया,
यादों का सफर चलचित्र सा चलता ही गया,
तारों को देख, अमावस का गहराना याद आया,
समय की धार में जो जाने कहां खो गया,
दिल के टुकड़ों में जो अपनी परछाई दे गया,
जाते-जाते जो आंखों को पानी दे गया,
जो कहीं ना जाए ऐसी कहानी दे गया।