स्वतंत्रता की स्वर्ण-जयन्ती को,
बीत गए कई साल।
जातिवाद के आरक्षण से,
प्रतिभाएं अब भी बेहाल।
श्रम का हो सम्मान,
सभी को अवसर मिलें समान।
अभिनन्दित हो युवा देश का,
हो प्रतिभाएं गतिमान।
एक बार फिर ज्ञानमार्ग जब,
प्रक्षालित हो जाएगा।
फिर से अपना देश,ये “भारत”
विश्व गुरु बन जाएगा।