वो जीना भी क्या जीना है,
जो देश हित में जी न सके,
वो मरना भी क्या मरना है,
जो मातृभूमि पर मर न सके।
कितने अनजाने वीरों ने,
अपने जो रक्त बहाएं हैं,
इस देश के मिट्टी पानी में,
उन वीरों की गाथाएं हैं।
झांसी की मिट्टी कहती हैं,
हर बाला लक्ष्मीबाई हो,
पंजाब की मिट्टी कहती हैं,
हर बालक वीर भगत सिंह हो।
वीर मराठों की गाथाएं ,
हमसब सुनते ही आए हैं,
जब देश पे आफ़त आई है,
तब वीर शिवा बन पाए हैं।
इस देश की गर्म हवाएं भी,
हुंकारी ऐसी भरती हैं,
मातृभूमि के लिए जिएं,
खुद्दारी इतनी भरती हैं।