अध्यापन व्यवसाय बन गया
अध्यापक सामान,
शिक्षा का बाज़ार बन गया,
बिक्री-खरीद हुई आसान।
बड़े- बड़े पोस्टर में सज गए
विद्यालय के भवन,
ज्ञान की बातें गौण हुई अब
नैतिकता का हवन।
बड़े-बड़े भवनों में बैठे
शिक्षा के व्यापारी,पहले आओ
पहले पाओ की है पूरी तैयारी।
प्रतिभावान बेहाल भटकते
है कितनी लाचारी !
भ्रष्टाचार की बलि चढ़े अब
न जाने किसकी है बारी ?