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education

शिक्षा का बाज़ार

in poems

अध्यापन व्यवसाय बन गया अध्यापक सामान, शिक्षा का बाज़ार बन गया, बिक्री-खरीद हुई आसान। बड़े- बड़े पोस्टर में सज गए विद्यालय के भवन, ज्ञान की बातें गौण हुई अब नैतिकता का हवन। बड़े-बड़े भवनों में बैठे शिक्षा के व्यापारी,पहले आओ पहले पाओ की है पूरी तैयारी। प्रतिभावान बेहाल भटकते है कितनी लाचारी ! भ्रष्टाचार की…

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शेष प्रश्न

in poems

हैं शेष प्रश्न,कुछ जीवन में, जो अनुत्तरित ही रहते है, प्रतिपल घटते इस जीवन में, जो अनुगुंजित से रहते है, जीवन की दीर्घ किताबों में, कुछ तो खोया खोया सा है, कही अपनी भाषा शून्य हुई, कही भाव न्यून ही रहता है । प्रचलित शिक्षा के बोझ तले, मानव कुचला कुचला सा है, मानवीय मूल्य…

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