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patriotism

संदेश

in poems

गणतंत्र की सुनहरी, फिर शाम आ रही है। सूरज की लालिमा यह, संदेश गा रही है । हम सब हैं भाई बंधु , यह देश है हमारा, अक्षुण्ण है, जिसकी संस्कृति, अनमोल भाईचारा। मिलजुल कर हम जिएंगे, फिर ज़हर ना पिएंगे, इंसानियत के दुश्मन, हमको नहीं गवारा। चलो यह प्रण भी ले लें । अभी…

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मातृभूमि

in poems

वो जीना भी क्या जीना है, जो देश हित में जी न सके, वो मरना भी क्या मरना है, जो मातृभूमि पर मर न सके। कितने अनजाने वीरों ने, अपने जो रक्त बहाएं हैं, इस देश के मिट्टी पानी में, उन वीरों की गाथाएं हैं। झांसी की मिट्टी कहती हैं, हर बाला लक्ष्मीबाई हो, पंजाब…

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देश का चौकीदार

in poems

🔥 आग में तपकर ही सोना भी, अपना मूल्य बताता है। तेज धार पर घिस घिसकर ही, हीरा चमक दिखाता है। जीवन भी कुछ ऐसा ही है। जो हमको ये सिखाता है, संघर्ष आंच में तपकर मानव, उच्च शिखर पर जाता है। देश का सेवक बनकर जो, जनकल्याण कर पाता है। तभी तो ‘चौकीदार’ भी,…

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मत भूलो

in poems

लिखित संविधान को, गणतंत्र के विधान को, मत भूलो, सशक्त करो। स्वाधीनता के अर्थ को, बलिदानी के रक्त को, मत भूलो,अनुरक्त बनो। हे भारत के वीर सपूतों, मत भूलो, उन भूलों को, जिनके कारण बर्बाद हुए, उन भूलों से ऊपर उठकर, फिर स्वर्णिम निर्माण करो।

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देशहित

in poems

वो जीना भी क्या जीना है, जो देश हित में जी न सके, वो मरना भी क्या मरना है, जो मातृभूमि पर मर न सके। कितने अनजाने वीरों ने, अपने जो रक्त बहाएं है, इस देश के मिट्टी पानी में, उन वीरों की गाथाएं हैं। झांसी की मिट्टी कहती हैं, हर बाला लक्ष्मीबाई हो, पंजाब…

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पुलवामा अटैक

in poems

वो चार शेर ही काफी थे, जिनकी जड़े हिलाने को, इसलिए पीठ पर वार किया, औकात न थी, आजमाने को। जगे शेर से पंगा ले, ये कायर की औकात नहीं, छल छद्म ही जिनके खून में है, उन्हें सबक दे, सौगात नहीं। हुए हैं दो दो हाथ,जब जब, मानवता हारी है, अब उठो, युद्ध उदघोष…

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