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faith

मेरे बाबा

in poems

  ”रहे ना कोई सपने बाकी, नाप ले तू अंतरिक्ष की थाती।” कहते रहते, बाबा मेरे, जब उनके पास मैं जाती, उनके ऊंचे सपनों को मैं, देख-देख घबराती। आते जाते डांटा करते, पढ़ती क्यों नहीं दिखती, जब देखो तब बातों में ही, समय नष्ट क्यों करती, जो बातें तब थी चुभती, आज समझ में आती,…

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शकुन्तला

in poems

क्रोध को जीता नहीं, और दे दिया अभिशप्त जीवन। शकुन्तला जब बैठ कुटिया में, कर रही थी, मधुर चिंतन। दोष उसका बस यही था, देख न पाई प्रलय को, भावना में बह गयी, पी गयी पीड़ा के गरल को। निर्दोष शकुन्तला सोच रही, वो किस समाज का हिस्सा है? अपने अस्तित्व को खोज रही, ये…

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नारी

in poems

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विश्वास

in poems
Trust

प्रेम हो विश्वास हो, न्याय का अहसास हो, धुंधलाते परिदृश्य में भी, न्याय की ही बात हो।

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