आस-पास बिखरे रंगों में,
बादल पर्वत और उपवन में,
जीवन विस्तारित होता हर कण में,
इनमें गुंजित ध्वनियां देखो क्या कहती है?
कहती हैं, हर रंग में जीवन,
खिलता ही है,
उमड़ घुमड़ कर बादल सा मन,
खाली होता।
खाली होकर ऊपर उठता,
पर्वत सा फिर,और उपवन में,
फूलों सा मन, विकसित होता।
यही चक्र है, जीवन का,
विस्तारित होना, और
सदियों तक धरती पर,
प्रसारित होना।
सोहनी और महिवाल
खेतों की हरियाली थी और नदिया की धार , वृक्षों की गवाही थी और सपनों का