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Monsoon

बादल

in poems

बादलों के झुँड से, था झाँकता, नन्हा सा बादल, हँस के कहता है धरा से, फिर बरसूंगा सुबह से, पूर्ण कर जलकुम्भ सारे, ज्यादा बरसूं सह नही पाती, कम बरसूं तो रह नही पाती, तेरे प्यारे सो रहे है, आलस में ही खो रहे है, उन्हें जगा और फिर करा तू, जलप्रबन्ध दुरुस्त सारे, जब…

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