सुविचार Published on 04/02/201913/02/2019 in poems by Vandana Rai मुस्कुराती रात हो, खिलखिलाता प्रात हो, हर सुबह के सूर्य में, कुछ विशेष बात हो। Keep Reading Share This No comments Facebook Twitter Google Pinterest Linked In You might be interested in हिंदी भाषा की व्यथा मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है। क़ैद उत्तराखंड की यात्रा के दौरान मैं नैनीताल के जिस होटल में रुकी थी ,उस होटल से वापसी वाले दिन सीढ़ियों प्रलय ये आफ़त ये झंझा तूफ़ानों का रेला, कहाँ ले के आया ,ये मरघट का खेला। समझ में न आए ,ये
हिंदी भाषा की व्यथा मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है।
क़ैद उत्तराखंड की यात्रा के दौरान मैं नैनीताल के जिस होटल में रुकी थी ,उस होटल से वापसी वाले दिन सीढ़ियों