Tag archive

reality

मुक्तिमार्ग

in poems

प्रतिपल घटते इस जीवन में, सोच रही थी खड़ी खड़ी, संग्रह करने की चाहत क्यों, करता इंसां घड़ी घड़ी, खाली हाथ ही आया है जो , खाली हाथ ही जाएगा, कर्मों का लेखा जोखा ही, स्मृतियों में रह जाएगा। महल, दुमहले ,घोड़े, हाथी, नहीं बनेंगे तेरे साथी, करुणा ,परोपकार की थाती, मुक्ति मार्ग दिखलाएगा। जलबिंदु…

Keep Reading

Go to Top