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Literature

हिन्दीभाषा ये पूछ रही..

in poems

आँखों में लिए प्रश्न बैठी ,इन्तज़ार  की चौखट पर , वो समय  कहाँ, कब आएगा ,जो मेरा भाग्य जगाएगा। हिन्दी सबकी जननी है तो ,सब क्यूं जननी को भूल गए , जो अँधियारे में भटक रही , हम दीप जलाना  भूल  गए । है राह निहारे यहाँ वहाँ ,तकती आँखें अब पूछ रही , हम…

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