हिन्दीभाषा ये पूछ रही..
आँखों में लिए प्रश्न बैठी ,इन्तज़ार की चौखट पर , वो समय कहाँ, कब आएगा ,जो मेरा भाग्य जगाएगा। हिन्दी सबकी जननी है तो ,सब क्यूं जननी को भूल गए , जो अँधियारे में भटक रही , हम दीप जलाना भूल गए । है राह निहारे यहाँ वहाँ ,तकती आँखें अब पूछ रही , हम…