सबके होते अपने श्याम …
कोई बोले रास रचईया,कोई बोले नटखट श्याम। कोई बोले कृष्ण कन्हैया,कोई बोले योगी श्याम। जिसने तुमको जैसा चाहा,वैसे ही तुम बनते श्याम। ज्ञानयोग और कर्मयोग का,ध्यानयोग का योगी श्याम, जिसकी जितनी निष्ठा होती,उतना ही बस मिलते श्याम। आत्मज्ञान निष्कामकर्म का,बोध कराए गीताज्ञान। जैसी जिसकी दृष्टि है ,बस वैसे ही है उनके श्याम।