क्रिकेट की बात Published on 13/06/2019 in poems by Vandana Rai खेल का मैदान हो, या युद्ध का आह्वान हो, खेल कर पछाड़ दो, युद्ध हो दहाड़ दो। फिर क्रिकेट की बात हो, या कश्मीर पर आघात हो। धूल हम चटाएगें, प्रतिद्वंद्वी उठ न पाएंगे। शेर ए हिन्द सज्ज हो, जीत में निमज्ज हो। Keep Reading Share This No comments Facebook Twitter Google Pinterest Linked In You might be interested in सोहनी और महिवाल खेतों की हरियाली थी और नदिया की धार , वृक्षों की गवाही थी और सपनों का संसार । सोहनी और मां पुत्री सम्बन्ध मां मुझको टोका करती थी ,सुन ले मेरी बात, वरना फिर पछताएगी तब , जब मिलेगा ना मेरा साथ । हिंदी भाषा की व्यथा मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है।
सोहनी और महिवाल खेतों की हरियाली थी और नदिया की धार , वृक्षों की गवाही थी और सपनों का संसार । सोहनी और
मां पुत्री सम्बन्ध मां मुझको टोका करती थी ,सुन ले मेरी बात, वरना फिर पछताएगी तब , जब मिलेगा ना मेरा साथ ।
हिंदी भाषा की व्यथा मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है।