Tag archive

relationship

ख़ामोशी

in poems

आओ बैठें साथ कुछ ऐसे, मैं रहूँँ, तुम रहो,और ख़ामोशी हो ज़ुबांं, आँँखों से ही एतराज हो,   आँँखों से ही मनुहार हो, बिना कहे तुम सुन सको, बिना सुने मैं समझ सकूं, ऐसी समझ विस्तार हो,   हर दर्द की परवाह हो, हर ज़ख्म का उपचार हो, तेरे हृदय के तार से, झंंकृत मेरा…

Keep Reading

गांँव वाली चाची

in Stories
KAVITANAAMA

आज बरसों पीछे मन भाग रहा है,तो सोचा उन बीते स्वर्णिम पलों से डायरी के पन्ने स्याह कर लूँ।  विवाह के 2 वर्ष पश्चात में अपने पति और छः माह की बिटिया के साथ लमही रहने के लिए आ गई, फलों का बगीचा और सामने फूलों और हरी घास के लॉन वाला हवेली नुमा घर…

Keep Reading

Go to Top